दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
सुबह सुबह ले शिव का नाम, कर ले बन्दे ये शुभ काम
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
एक कमल shiv chalisa lyricsl प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥